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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2719
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

अध्याय - 10 
हिन्दी और सूचना प्रौद्योगिकी

हिन्दी वेबसाइटों का वैविध्य

अलग-अलग उपयोग की दृष्टि से आज इण्टरनेट पर हिन्दी की तरह - तरह की वेबसाइटों की बाढ़ सी आ गई है। वेबसाइटों के इस वैविध्य को इस रूप में देख सकते हैं-

(क) समाचार वेबसाइटें - आज प्रत्येक व्यक्ति देश-दुनिया की सभी अद्यतन जानकारियों और समाचारों को जानना चाहता है, समाचार पत्रों और समाचार चैनलों का कारोबार दिनोदिन बढ़ता जा रहा है। कोई भी समाचार तुरन्त लोगों तक पहुँचे, इसके लिए सभी समाचार-पत्रों एवं समाचार चैनलों ने अपनी-अपनी वेबसाइटें बनाकर नेट पर डाली हुई हैं। इन वेबसाइटों के माध्यम से व्यक्ति को तुरन्त समाचारों की जानकारी प्राप्त हो जाती है। आज सभी प्रमुख हिन्दी समाचार-पत्रों और चैनलों की वेबसाइटें उपलब्ध हैं।

(ख) साहित्यिक वेबसाइटें - सभी साहित्यिक विधाओं और गतिविधियों को लेकर हिन्दी में अनेकानेक वेबसाइटें उपलब्ध हैं। सभी साहित्यिक पत्रिकाओं की अपनी वेबसाइटें हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी समय, गद्यकोश, कविताकोश आदि कितनी ही साहित्यिक वेबसाइटें इण्टरनेट पर उपलब्ध हैं।

(ग) सांस्थानिक वेबसाइटें - आज प्रायः सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी स्वायत्तशासी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को वेबसाइटें हिन्दी में उपलब्ध हैं, जोकि अपनी सभी जानकारियाँ हिन्दी में उपलब्ध कराती हैं। ये सभी वेबसाइटें राजभाषा अधिनियमों के अन्तर्गत हिन्दी में बनाई गई हैं।

(घ) ब्लॉग या व्यक्तिगत वेबसाइटें - आज इण्टरनेट पर हिन्दी में ब्लॉग (चिट्ठे) लिखने की समृद्ध परम्परा विकसित हो गई है। कितने ही लोगों ने अपनी ब्लॉग वेबसाइटें बनाई हैं, जिन पर वह हिन्दी में नियमित रूप से ब्लॉग लिख रहे हैं। इसी तरह की अन्य वेबसाइटें भी इण्टरनेट पर उपलब्ध हैं।

(ङ) ऑनलाइन डायरी वेबसाइटें - वर्तमान में बड़ी संख्या में लोग अपनी वेबसाइटें बनाकर हिन्दी में ऑनलाइन डायरी लिख रहे हैं। इससे एक नई वैचारिकी परम्परा भी जन्म ले रही है।

(च) सर्च इंजन वेबसाइटें – ये सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली वेबसाइटें हैं। इनके माध्यम से ही लोग इण्टरनेट पर अपनी वांछित सामग्री या जानकारियाँ खोजते हैं।

(छ) कम्पनी वेबसाइटें - सभी बड़ी कम्पनियों ने अपनी वेबसाइटें बनाकर स्वयं से सम्बन्धित सभी प्रकार की जानकारियाँ हिन्दी में भी उपलब्ध कराई हैं।

(ज) ई-कॉमर्स (वाणिज्यिक) वेबसाइटें-आज व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा का युग है, इसलिए प्रत्येक वाणिज्यिक अथवा व्यापारिक संस्थान बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहता है। अपने एकाधिकार की स्थापना के लिए सभी बड़े संस्थानों ने अपनी वेबसाइटें हिन्दी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी बनाई हैं, जिससे वे अधिकाधिक लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। बिग बाजार, एमजॉन, फ्यूचर पे, ईसी डे, मीशो, मन्त्रा आदि वेबसाइटें उपलब्ध हैं, ये सभी लोगों को घर बैठे वांछित सुविधाएँ उपलब्ध करा रही हैं। 

(झ) सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें - वर्तमान में सामान्यजन द्वारा सबसे अधिक इन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों का प्रयोग हिन्दी में किया जा रहा है। व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, लिंकडेन आदि ऐसी ही कुछ प्रमुख वेबसाइटें हैं, जिन पर लोगों का सर्वाधिक समय बीत रहा है।

(ञ) फोरम या मंचीय वेबसाइटें - जो लोग प्रत्यक्षतः या सजीव रहकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना चाहते हैं अथवा लोगों के साथ सीधे जुड़कर उनके साथ अपने विचार साझा करना चाहते हैं, उन्होंने इसके लिए अनेक प्रकार की फोरम या मंचीय वेबसाइटें बनाई हैं। आज कितनी ही सभाएँ, सम्मेलन, गोष्ठियाँ, कवि-सम्मेलन, रैलियाँ इन मंचीय वेबसाइटों के माध्यम से सम्पन्न हो रही हैं।

(ट) हिन्दी - ई-मेल वेबसाइटें — इण्टरनेट पर कुछ ऐसी वेबसाइटें भी हिन्दी में उपलब्ध हैं, जो लोगों को हिन्दी में ई-मेल की सुविधाएँ प्रदान करती हैं।

इसी प्रकार की और भी अनेक प्रकार की वेबसाइटें हिन्दी में उपलब्ध हैं, जो हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

हिन्दी की प्रमुख वेबसाइटों का संक्षिप्त परिचय

हिन्दी की अनेक प्रकार की उपर्युक्त वेबसाइटों में से कुछ मुख्य वेबसाइटों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है—
(क) इण्टरनेट पर हिन्दी साहित्य की प्रमुख वेबसाइटें
प्रमुख रचनाकारों का परिचय भी यहाँ दिया गया है।
कुछ वेबपोर्टल (वेबसाइटें ) हिन्दी-साहित्य की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं, उनमें से कुछ पोर्टल का परिचय इस प्रकार है-
1. www.webdunia.com - यह विश्व की प्रथम हिन्दी वेबसाइट है। इसकी शुरूआत फरवरी, 1999 ई० में हुई थी। इसमें साहित्य के अन्तर्गत नाटक, कविता, आलेख, संस्मरण,, लोक-साहित्य, समीक्षा आदि से सम्बन्धित साहित्य उपलब्ध है। इस वेबसाइट पर उपलब्ध साहित्य को पाठक ई-मेल के द्वारा अपने मित्रों को भी भेज सकते हैं।
2. www.vagarth.com - यह भारतीय राजभाषा परिषद् द्वारा संचालित हिन्दी - साहित्य और संस्कृति की मासिक पत्रिका है।
3. www.abhivykti-hindi.org - यह भारतीय साहित्य, संस्कृति, कला और दर्शन पर आधारित हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका है। इसमें आलेख, साक्षात्कार, कहानियाँ तथा संस्मरण उपलब्ध हैं। हिन्दी के अधिकतर साहित्यकारों का परिचय यहाँ उपलब्ध है। इसमें कई उपन्यास, हास्य-व्यंग्य तथा उच्चकोटि के साहित्यिक निबन्ध उपलब्ध हैं। साहित्य की दृष्टि से यह वैविध्यपूर्ण वेबपेज है।
4. www.Anubhuti-hindi.org - यह भी हिन्दी काव्य की एक ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिका है। यहाँ विश्व की लगभग 450 और हिन्दी 2500 से अधिक प्रसिद्ध पत्रिकाओं का संग्रह है। साथ ही प्रमुख रचनाकारों का परिचय भी यहाँ दिया गया है।
5. www. Jagransahitya.com - यह हिन्दी दैनिक समाचार पत्र दैनिक जागरण की वेबसाइट है, जिस पर कहानियाँ, कविताएँ, निबन्ध, लेखक - परिचय तथा अनेक उपन्यास एवं अन्य साहित्यिक कोशों का सम्पूर्ण परिचय हिन्दी में उपलब्ध है।
6. www.bharatdarshan.com - इस वेबपोर्टल पर बहुत से गजलकारों की गजलें तथा लघुकथाएँ हिन्दी में संगृहीत हैं।
7. www.literatureworld.com - इस वेबसाइट पर समीक्षा के पुराने अंकों के साथ- साथ 150 से अधिक हिन्दी - साहित्यकारों का परिचय उपलब्ध है। यहाँ से पुरानी एवं नई अलग-अलग विधाओं एवं अनूदित पुस्तकों की जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है।
8. www.hindinest.com – यह हिन्दी साहित्य को समर्पित ऑनलाइन पोर्टल है। लगभग 150 से भी अधिक प्रसिद्ध तथा कुछ उभरते साहित्यकारों की कविताएँ तथा कहानियाँ इस पर उपलब्ध हैं। हिन्दी के साहित्यकार अपनी रचनाएँ इस पर भेज सकते हैं।
9. www.sanskritgde.com - इस वेबसाइट पर हिन्दी में तुलसी के 'श्रीरामचरितमानस' के सभी सातों काण्ड दोहावली, कवितावली, विनयपत्रिका तथा
10. www.prabhasakshi.com – इस वेबसाइट पर पुस्तक समीक्षाएँ, व्यंग्य रचनाएँ, लघुकथाएँ तथा साक्षात्कारों के साथ-साथ खबरें भी प्राप्त की जा सकती हैं।

(ख) हिन्दी समाचार पत्र-पत्रिकाओं से सम्बन्धित कुछ वेबसाइटें

हिन्दी समाचार पत्र पत्रिकाओं की जानकारी के लिए इन वेबसाइटों का उपयोग किया जा सकता है-
1. www.naidunia.com
2. www.hindi.india.today.com
3. www.rajasthanpatrika.com
4. www.rashtriyasahara.samayline.com
5. www.hindimilap.com
6. www.navbharata.net
7. www.tadbhav.com
8. www.bbc.co.uk/hindi/
9. www.prabhatkhabar.com
10. www.prajabharat.com
11. www.amarujala.com
12. www.hindi.samachar.com
13. www.lokmat.com
14. www.punjabkesari.com
15. www.bhaskar.com
16. www.indiatimes.com
17. www.samachar.com

(ग) भारतीय वेबसर्च इंजन

विदेशी सर्च इंजनों के अलावा कुछ भारतीय वेबसर्च इंजन भी हैं, जिनका उपयोग करके सभी तरह की सूचनाओं को आसानी से सर्च किया जा सकता है। कुछ वेबसर्च इंजन इस प्रकार है-
1. www.guruji.com
2. www.samilan.com
3. www.123india.com
4. www.raftaar.in
5. www.hindisearchengines.com
6. www.rekha.com
7. www.iloveindia.com
8. www.hindi.co.in
9. www.netjal.com
10. www.devanaagari.net
11. www.webdunia.com
12. www.hindhoj.in
13. www.searchindia.com
14. www.123khoj.com

(घ) हिन्दी में ई-मेल के लिए वेबसाइटें
1. www.hindipatra.com
2. www.mailjol.com
3. www.rediffmail.com
4. www.epatra.com
5. www.gmail.com
6. www.cdacindia.com
7. www.webdunia.com

(ङ) हिन्दी की कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण वेबसाइटें
1. www.rajbhasha.nic.in – यह राजभाषा विभाग गृह मन्त्रालय भारत सरकार की वेबसाइट है, जिस पर राजभाषा हिन्दी सम्बन्धित नियमों, अधिनियमों के अतिरिक्त बहुत सारी जानकारी उपलब्ध है।
2. www.shabdkosh.com - यह ऑनलाइन शब्दकोश (हिन्दी - अंग्रेजी) की वेबसाइट है।
3. www.sathitya.academi.gov.in — यह साहित्य अकादमी की वेबसाइट है। इस पर अकादमी द्वारा दिये जाने वाले साहित्य अकादमी पुरस्कारों में विभूषित साहित्यकारों के नाम और उनके विवरण के साथ-साथ अकादमी द्वारा छापी जाने वाली विभिन्न पुस्तकों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
4. www.indianlanguages.com - इस वेबसाइट पर हिन्दी सहित अन्य सभी प्रमुख भाषाओं का साहित्य तथा महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।
5. www.ciil.org
6. www.hindibhasha.com
7. www.hindilanguage.com

(च) इण्टरनेट पर 'फ्री' हिन्दी E-books की वेबसाइटें

1.http://sites.google.com/site/hindiebooks/-
इस वेबसाइट पर 20 से अधिक फ्री हिन्दी E-books' (गद्य, पद्य, उपन्यास आदि) pdf में उपलब्ध हैं।
2. http://www.purebhakti.com/resources/ebooks-a-magazines-mainme:nu63/cat/_view/53-bhakti-books-download/54- hindi - html - इस वेबसाइट पर 50 से अधिक भक्ति - साहित्य की पुस्तकें pdf में उपलब्ध हैं।
3. http://www.messageformmasters.com/Ebooks/osho_hindi_books do wnload.htm — इस वेबसाइट पर 70 से अधिक ओशो - साहित्य की पुस्तकें pdf में उपलब्ध हैं।
इस प्रकार हम इण्टरनेट के माध्यम से वैश्विक व्यक्ति हो जाते हैं। जब हम किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो देखते हैं कि इन पर और भी बहुत-सी सूचनाएँ उपलब्ध हैं। हम एक के बाद एक जाल में फँसते जाते हैं; इसलिए इण्टरनेट को अद्भुत जाल कहा जाता है। यद्यपि इण्टरनेट पर हिन्दी की वेबसाइटों को खोजना एक बड़ी समस्या है; क्योंकि हिन्दी वेबसाइटों का ज्यादा प्रचार नहीं होता। गूगल सर्च इंजन द्वारा इस समस्या को भी हल किया जा रहा है।

रूपसर्जक सॉफ्टवेयर

रूपसर्जक एक ऐसी सॉफ्टवेयर प्रणाली है, जो हिन्दी के किसी भी कोशीय शब्द के द्वारा बनने वाली सभी रूपों की रचना करती है। इसमें हिन्दी शब्दों के विभिन्न वाक्यात्मक रूपों को देखा जा सकता है। कोश में शब्दों के मूलरूप ही संगृहीत होते हैं । जब उन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग होता है तो विभिन्न व्याकरणिक कोटियों (जैसे- लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि) के आधार पर उनके रूपों में कुछ परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन अनेक प्रकार का होता है। कभी मूलशब्द के साथ कुछ प्रत्यय जुड़ जाते हैं तो कभी शब्द के सम्पूर्ण रूप में ही परिवर्तन हो जाता है। उदाहरण के लिए-क्रिया शब्दों के विभिन्न परिवर्तित रूपों को देखा जा सकता है; जैसे- 'खा' धातु के भूतकालिक प्रयोग में इसके साथ 'या' प्रत्यय जुड़ता है और 'खाया' रूप बनता है, किन्तु 'जा' धातु के भूतकालिक प्रयोग में जा के साथ 'या' जुड़ने पर उससे 'गया' रूप बनता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि हिन्दी के कोशीय शब्दों से उनके बनने वाले सभी रूपों का ज्ञान आवश्यक है। हिन्दी में मुख्य रूप से संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण शब्दों के रूपों में ही इस तरह के विकार होते हैं।

यह सॉफ्टवेयर हिन्दी शब्दों से बनने वाले सभी रूपों की स्वचलित रूप से रचना करने के लिए विकसित किया गया है। इसमें रूप-रचना हेतु इनपुट देने के लिए दो प्रकार की व्यवस्थाएँ दी गई हैं— पहली व्यवस्था में यदि बहुत से शब्दों के रूपों की रचना एक साथ करके दिखानी हो तो उन्हें किसी डाटाबेस में सुरक्षित करते हैं और उसे खोलकर सीधे-सीधे दी गई सारणी से शब्दों को लेकर सभी रूपों की रचना सरलता से हो जाती है। दूसरी व्यवस्था में यदि केवल एक शब्द की रूप रचना करनी हो तो दिए हुए टैक्स्ट बॉक्स में उसे टाइप करके 'प्रजनन करें" बटन को क्लिक करने पर उसके सभी रूपों की रचना हो जाती है। इस टैक्स्ट बॉक्स में एक से अधिक शब्द भी स्पेस से अलग करते हुए दिए जा सकते हैं। इस प्रणाली के अन्तर पृष्ठ में 'फाइल खोलें' बटन द्वारा डाटाबेस फाइल को खोलते हैं, किन्तु उसके पहले डाटाबेस में बने टेबल 'टेबल का नाम' नामक टैक्स्टबॉक्स में लिख देते हैं, इसके बाद यह उससे शब्दों को लेकर नीचे बने लिस्टबॉक्स में शब्द रूपों को प्रदर्शित करता है।

इस प्रकार कितने भी शब्दों के विविध रूपों की रचना की जा सकती है। स्पष्ट है कि रूपसर्जक एक अत्यन्त उपयोगी सॉफ्टवेयर है, जो हिन्दी के कोशीय शब्दों के सभी व्याकरणिक रूपों की रचना करता है । इस दृष्टि से यह हिन्दी को तकनीकी क्षेत्र में सर्जक दृष्टि से एक नया आयाम प्रदान कर उसके विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

हिंटै (हिन्दी टैगिंग ) सॉफ्टवेयर

यहाँ 'हिटैं' का आशय 'हिन्दी टैगिंग' से है। पी०ओ०एस० टैगिंग प्राकृतिक भाषा संसाधन की एक आधारभूत प्रक्रिया है। इसके बाद ही भाषिक विश्लेषण या रचना से सम्बन्धित कार्य सम्पन्न होते हैं। टैगिंग द्वारा किसी पाठ के वाक्यों में आए सभी शब्दों को उनके शब्दवर्ग के आधार पर एक टैग प्रदान किया जाता है। यह कार्य दो प्रकार से सम्भव है - सन्दर्भ मुक्त और सन्दर्भ - युक्त सन्दर्भ-मुक्त टूल द्वारा कोशीय स्थिति के आधार पर शब्द को टैग प्रदान किया जाता है। ऐसी स्थिति में यदि किसी शब्द के दो कोशीय मूल प्राप्त होते हैं जैसे- - आम, आम या खाना, खाना आदि ) ।

हिन्दी के ई-शिक्षण में दृश्य-श्रव्य सामग्री की भूमिका

हिन्दी का ई-शिक्षण- कम्प्यूटर के क्षेत्र में जब से इण्टरनेट का विकास हुआ और उस पर उपलब्ध सामग्री तक न केवल आमजन की पहुँच हो सकी है, वरन् वह इसका रचयिता भी बन सका है, तब से शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी क्रान्ति हुई है। यदि भाषा की बात करें तो कुछ साल पहले तक अंग्रेजी ही कम्प्यूटर की एकमात्र भाषा थी; अतः इण्टरनेट पर अंग्रेजी भाषा अथवा अंग्रेजी भाषा में पढ़ाए जाने वाले विषयों से सम्बन्धित सामग्री ही उस पर उपलब्ध थी। मगर जब से कम्प्यूटर फॉण्ट के रूप में 'यूनिकोड' का विकास हुआ है, तब से उस पर उपलब्ध सामग्री की कोई सीमा न रही। हिन्दी भाषा के क्षेत्र में तो अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है। आज इण्टरनेट पर हिन्दी में सभी विषयों अथवा क्षेत्रों से सम्बन्धित प्रचुर सामग्री इण्टरनेट पर उपलब्ध है। इण्टरनेट पर हिन्दी के सरल उपयोग ने इण्टरनेट के माध्यम से इसके शिक्षण के क्षेत्र में भी क्रान्ति ला दी है। इण्टरनेट के माध्यम से होने वाले हिन्दी के शिक्षण को ही आज ई-शिक्षण के नाम से जाना जाता है। इण्टरनेट क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के रूप में कम्प्यूटर के द्वारा संचालित होता है, इसलिए इसे इलेक्ट्रॉनिक शिक्षण भी कहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक अथवा इण्टरनेट शिक्षण को ही संक्षेप में ई-शिक्षण कहा जाता है।

रेडियो, टेलीविजन, टेपरिकॉर्डर, प्रोजेक्टर आदि भी जनसंचार के बहुत लोकप्रिय इलेक्ट्रॉनिक साधन हैं; अतः इन सबकी भी गणना ई-शिक्षण के साधन के रूप में की जाती है।

ई-शिक्षण के रूप में उपलब्ध सामग्री

ई-शिक्षण के रूप में उपलब्ध संसाधनों के द्वारा जो पाठ्य सामग्री प्रयुक्त की जाती है, उसे हम तीन वर्गों में बाँट सकते हैं-
(क) दृश्य सामग्री,
(ख) श्रव्य सामग्री,
(गं) दृश्य-श्रव्य सामग्री ।

(क) हिन्दी के ई-शिक्षण की दृश्य सामग्री - जिस सामग्री को देखकर किसी विषय का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे दृश्य सामग्री कहा जाता है। हिन्दी भाषा के शिक्षण में चित्र, श्यामपट, चार्ट, वीडियो और फिल्म आदि सामग्री का प्रयोग दृश्य सामग्री के रूप में किया जाता है; क्योंकि इनमें से चित्र, श्यामपट चार्ट आदि ऐसे सर्वसुलभ साधन हैं, जिनका प्रयोग करना भी अत्यन्त सरल होता है।

तकनीकी विकास के कारण कम्प्यूटर, इण्टरनेट, प्रोजेक्टर, फिल्म आदि के क्षेत्र में खूब प्रगति हुई है। इसलिए शिक्षण के क्षेत्र में भी इनका प्रचलन बढ़ा है। इन सभी के द्वारा हिन्दी का शिक्षण अत्यन्त प्रभावशाली और सकारात्मक हो गया है। इन सभी में भी इण्टरनेट का बड़ा महत्त्व है; क्योंकि इसके माध्यम से आज विश्व के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति ऑनलाइन सीधे स्क्रीन पर आकर आपसी विमर्श द्वारा समस्याओं का विवेचन करके उनका समाधान करने में समर्थ है। हिन्दी के प्रत्येक प्रकरण को लेकर कितने ही वीडियो और पाठ्य सामग्री की पीडीएफ आज इण्टरनेट पर उपलब्ध है। इनमें लिखित सामग्री के रूप में चार्ट भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं।

(ख) हिन्दी के ई-शिक्षण की श्रव्य सामग्री - जिस सामग्री को सुनकर किसी विषय का ज्ञान प्राप्त होता है, उसे श्रव्य सामग्री कहा जाता है। पाठों का वाचन, उनकी मौखिक व्याख्या, भाषण, कहानी - कविता का वाचन, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि हिन्दी की श्रव्य सामग्री के कुछ मुख्य उदाहरण हैं। रेडियो, टेपरिकॉर्डर और सीधे इनका श्रवण करना इनके मुख्य साधन हैं।

इनमें रेडियो की यह सीमा है कि यदि कोई बात हम दुबारा चुनना चाहें तो यह तत्काल सम्भव नहीं हो पाता क्योंकि उसका नियन्त्रण हमारे हाथ में नहीं होता। इसी प्रकार लिंग्वाफोन आदि के लिए भाषा प्रयोगशाला का होना जरूरी है। इन कठिनाइयों की दृष्टि से टेपरिकॉर्डर सबसे सुलभ साधन हैं टेपरिकॉर्डर को जहाँ चाहे काम में ला सकते हैं। यह बिजली से भी चलता है और बैटरी से भी । इसका नियन्त्रण भी हमारे अपने हाथ में होता है। भाषा सीखते हुए कोई बात हम दुबारा सुनना चाहें या किसी अभ्यास को बार-बार दोहराना चाहें तो कैसेट या सीडी को पीछे ले जाकर सुनना सम्भव है। इतना ही नहीं, जब भी सीखने वाले को समय हो, वह इसकी सहायता से भाषा सीख सकता है।

टेपरिकॉर्डर की चर्चा में यह बताना जरूरी है कि टेपांकित सामग्री बहुत अच्छी होनी चाहिए | हिन्दी में द्वितीय/तृतीय भाषा सीखने के लिए ऐसी टेपांकित सामग्री अधिक मात्रा में तथा विविध रूपों में उपलब्ध नहीं है। गीतों, कविताओं आदि के कैसेट तो पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं, किन्तु भाषा सीखने के लिए ऐसे कैसेट कम ही हैं, जिनमें उच्चारण, साँचा अभ्यास आदि का स्तरीकृत शिक्षण दिया जा सके। इधर द्वितीय भाषा हिन्दी के शिक्षण के लिए एन०सी०ई०आर०टी० ने ऑडियो कैसेट का निर्माण किया है। हर कैसेट का पूर्वार्द्ध पाठ्य-पुस्तक से सम्बन्धित है, जबकि उत्तरार्द्ध मुक्त अभ्यास के लिए है । हिन्दी सीखने वाला कोई भी शिक्षार्थी सुविधानुसार इनका उपयोग कर सकता है।

(ग) हिन्दी के ई-शिक्षण की दृश्य-श्रव्य सामग्री- जिस सामग्री को देखकर और सुनकर किसी विषय का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे दृश्य-श्रव्य सामग्री कहा जाता है। दूरदर्शन अथवा टेलीविजन, प्रोजेक्टर, फिल्में आदि दृश्य-श्रव्य सामग्री के श्रेष्ठ उदाहरण हैं; क्योंकि इनमें देखना और सुनना एक साथ होता है।

आज कम्प्यूटर का प्रयोग इण्टरनेट के माध्यम से इन तीनों ही रूपों में किया जा रहा है। जब से मोबाइल में एण्ड्रॉयड तकनीक विकसित हुई है, तब से इण्टरनेट का शिक्षण के क्षेत्र में उपर्युक्त तीनों ही रूपों में अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। सन् 2019 से लेकर 2022 तक कोरोना के कारण प्रभावित शिक्षण व्यवस्था में इण्टरनेट और मोबाइल ने बड़ा सहयोग किया। इनके माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। मानव जीवन के इस वैश्विक आपातकाल ने शिक्षा-व्यवस्था को एक नई दिशा दी। कोरोनाकाल के प्रभाव के कम होने पर भले ही विद्यालयों में कक्षाएँ आरम्भ हो गई हैं, किन्तु ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री ने छात्रों की समस्याओं का स्थायी और सरल समाधान प्रस्तुत कर दिया है। इसलिए अनेक शिक्षकों और विषय - विशेषज्ञों ने इन कक्षाओं को अनवरत रूप से जारी रखने का फैसला लिया है, जिसका सभी छात्र अपनी सुविधानुसार लाभ उठा रहे हैं। इसके अतिरिक्त सीधे आपसी वार्त्तालाप के माध्यम से विविध विषयों पर बड़ी-बड़ी विचार गोष्ठियाँ, साहित्यिक सम्मेलन, कवि सम्मेलन, कविता पाठ, कहानी वाचन, कविताओं का तात्त्विक विवेचन, नाटकों, एकांकियों के सजीव मंचीय प्रदर्शन हिन्दी शिक्षण को अत्यन्त प्रभावशाली बना रहे हैं।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

* ई-पुस्तकालय प्रणाली की अवधारणा

ई-पुस्तकालय प्रणाली निम्नलिखित पाँच अवधारणाओं पर कार्य करती है-

(क) डिजिटल - इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय डिजिटल डेटा के रूप में कार्य करता है। इसमें न केवल टैक्स्ट डेटा, बल्कि ध्वनि, ग्राफिक्स और गतिक वीडियो भी सम्मिलित होते हैं। कम्प्यूटर में सभी डेटा डिजिटल होते हैं, इसलिए विभिन्न प्रकार के डेटा को आसानी से एक-दूसरे में समाहित किया जा सकता है और उच्चस्तर की पुनर्प्राप्ति और अन्य प्रसंस्करण भी किया जा सकता है।

(ख) नेटवर्क - इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय अलग-अलग स्थानों (कम्प्यूटरों/ सर्वरों) में होते हैं और एक नेटवर्क के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस प्रकार नेटवर्क के द्वारा एक विशाल आभासी पुस्तकालय का निर्माण होता है। यह एक 'विश्व पुस्तकालय' होता है, जो वास्तविक इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालयों के बीच की दूरी की परवाह किए बिना राष्ट्रीय सीमाओं के पार भी अपनी सुविधाएँ पाठकों को बिना किसी भेदभाव के देता है।

(ग) एक-दूसरे के साथ क्रियाशील ( इण्टरैक्टिव ) - इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय की प्रणाली नवीनतम प्रारूप में कार्य करती है। पुस्तकों को स्क्रीन पर उसी प्रकार प्रदर्शित करती है, मानों वे मुद्रित पुस्तकें हों। यह प्रणाली पुस्तकों और कागजात को पुनः प्राप्त करने में सक्षम होती है। यह प्रणाली उपयोगकर्त्ता को एक स्क्रीन पर कई पुस्तकों को एक साथ प्रदर्शित करने और एक ही विचार का वर्णन करने वाले एक भाग से दूसरे पुस्तक के भीतर उसी विचार का वर्णन करने वाले दूसरे भाग के साथ सम्बद्ध करने में भी सक्षम बनाती है। यह उपयोगकर्ता को अज्ञात शब्दों की जाँच करने, किसी पुस्तक में विभिन्न पदों पर नोट्स और टैग संलग्न करने, मूलपाठ का अनुवाद करने और ध्वनि डेटा के रूप में आउटपुट टैक्स्ट को एक साथ सन्दर्भित करने में सक्षम बनाती है।

(घ) मल्टीमीडिया - इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय - प्रणाली का उपयोगकर्त्ता टैक्स्ट, ध्वनि, ग्राफिक्स और गतिक वीडियो जैसे विभिन्न स्वरूपों में डेटा का उपयोग कर सकता है। यह मल्टीमीडिया डेटा केवल टैक्स्ट, चित्रों और सारणियों वाली पारम्परिक पुस्तकों की तुलना में सरलता से समझ में आता है; क्योंकि इसमें अधिगम के सभी प्रारूपों का समावेश होता है।

(ङ) मापनीय - इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय - प्रणाली का उपयोग उपलब्ध हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और डेटा संसाधनों के अनुसार विभिन्न आकारों में इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय बनाने के लिए भी किया जाता सकता है। इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय राष्ट्रीय पुस्तकालय भी कई गुना बड़ा और व्यक्तिगत पुस्तकालय जितना छोटा हो सकता है।

ई-पुस्तकालय के प्रमुख लाभ

ई - पुस्तकालय के मुख्य लाभ इस प्रकार हैं-
1. ई - पुस्तकालय का उपयोग छात्र अपने समय, स्थान व गति के अनुसार कहीं भी प्राप्त कर सकता है।
2. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम होने के कारण इसमें पाठक सीडी, रोम, डीवीडी, इण्टरनेट मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर का प्रयोग अपनी सुविधा के अनुसार कर सकता है। इससे उसमें अनेक प्रकार की अधिगम सम्बन्धी स्थायी और रोचक गतिविधियाँ जाग्रत होती हैं।
3. ई - पुस्तकालय द्वारा ऑनलाइन सम्प्रेषण की क्रिया भी सरलता से सम्पादित होती है।
4. इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय पठन सामग्री के रूप में अत्याधुनिक सहायक सामग्री घोषित
हो चुकी है।
5. इसमें विद्यार्थियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी किया जाता है। इसका लाभ यह होता है कि जो नई सूचना पुस्तकालय में अपडेट (अद्यतन) होती है, वह एसएमएस ( SMS ) के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुँच जाती है।
6. ई - पुस्तकालय द्वारा अधिगमकर्त्ताओं को उनकी व्यक्तिगत विभिन्नता एवं आवश्यकताओं के अनुसार अनुभव प्राप्त करने के लिए वेबसाइट पर विविध प्रकार की सामग्री उपलब्ध रहती हैं।
7. संस्कृति, स्थान तथा अधिगम शैली में विभिन्न होने के कारण भी अधिगमकर्त्ताओं को अधिगम (सीखने) में लाभ मिलता है।


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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 कार्यालयी हिन्दी का स्वरूप, उद्देश्य एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 कार्यालयी हिन्दी में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 संक्षेपण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 पल्लवन
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 प्रारूपण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 टिप्पण
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 कार्यालयी हिन्दी पत्राचार
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 हिन्दी भाषा और संगणक (कम्प्यूटर)
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 संगणक में हिन्दी का ई-लेखन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 हिन्दी और सूचना प्रौद्योगिकी
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 भाषा प्रौद्योगिकी और हिन्दी
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

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